Free Ration Distribution:उत्तर प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत मुफ्त राशन वितरण की एक महत्वपूर्ण योजना की घोषणा की है। इस योजना का उद्देश्य राज्य के गरीब और जरूरतमंद लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करना है। आइए इस योजना के मुख्य बिंदुओं पर एक नज़र डालें।
वितरण की तारीखें और पात्रता
खाद्य आयुक्त ने बताया है कि अगस्त माह का राशन वितरण 21 अगस्त तक किया जाएगा। यह सुविधा सभी राशन कार्ड धारकों, अंत्योदय कार्डधारकों और पात्र गृहस्थी कार्डधारकों को मिलेगी।
अंत्योदय लाभार्थियों के लिए विशेष प्रावधान
48 जिलों में अंत्योदय लाभार्थियों को प्रति कार्ड 14 किलो गेहूं, 19 किलो चावल और 2 किलो बाजरा मिलेगा। शेष जिलों में उन्हें 14 किलो गेहूं और 21 किलो चावल दिया जाएगा। इस तरह कुल 35 किलोग्राम खाद्यान्न प्रति कार्ड उपलब्ध कराया जाएगा।
पात्र घरेलू लाभार्थियों के लिए आवंटन
निर्धारित 48 जिलों के योग्य परिवारों को हर सदस्य के लिए 2 किलो गेहूं, 3 किलो चावल और 1 किलो बाजरा दिया जाएगा। अन्य जिलों में प्रत्येक व्यक्ति को 2 किलो गेहूं और 3 किलो चावल मिलेगा। इस प्रकार हर सदस्य को कुल 5 किलो अनाज प्राप्त होगा।
बाजरे का वितरण और महत्व
बाजरे का वितरण “पहले आओ, पहले पाओ” के आधार पर किया जाएगा। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो न केवल लोगों को पौष्टिक आहार प्रदान करेगा, बल्कि जलवायु-प्रतिरोधी फसलों को बढ़ावा देने में भी मदद करेगा। इससे किसानों को भी लाभ होगा।
वितरण प्रक्रिया और पोर्टेबिलिटी
खाद्यान्न और बाजरे का वितरण निःशुल्क किया जाएगा। लाभार्थियों को पोर्टेबिलिटी ट्रांजेक्शन की सुविधा मिलेगी, जिससे वे राज्य की किसी भी उचित मूल्य की दुकान से अपना राशन प्राप्त कर सकेंगे। हालांकि, यह सुविधा दुकान में उपलब्ध स्टॉक तक ही सीमित रहेगी।
व्यापक कवरेज
इस योजना में 48 जिलों को शामिल किया गया है, जिनमें आगरा, अलीगढ़, बरेली, कानपुर, लखनऊ, मेरठ, प्रयागराज और वाराणसी जैसे बड़े शहर भी शामिल हैं। यह सुनिश्चित करता है कि राज्य की एक बड़ी आबादी इस योजना का लाभ उठा सके।
यह योजना उत्तर प्रदेश सरकार की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह न केवल गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों की मदद करेगी, बल्कि पौष्टिक खाद्य पदार्थों के उपयोग को भी बढ़ावा देगी। बाजरे को शामिल करना एक सराहनीय कदम है जो किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। इस तरह की पहल से राज्य में खाद्य सुरक्षा और पोषण स्तर में सुधार की उम्मीद की जा सकती है।
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